Sunday, June 1, 2014

दिल के जख्मों को उनसे छुपाना पड़ा,
पलके भीगीं थी पर हमें मुस्कुराना पड़ा,
कैसे उल्टे हैं मुहब्बत के ये रिवाज?
रूठना चाहते थे पर उनको मनाना पड़ा......


No comments:

Post a Comment